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अल्फाज अनकहे से....

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                     अल्फाज अनकहे से... 💓         💓अल्फाज़ अनकहे से....  "बाबू! उठिए, देखो सुबह हो गई है। लो, चाय पीलो।" - अनन्या ने अभिषेक से उसकी रजाई खींचते हुए कहा। अनन्या अभिषेक के नौकरानी की बेटी थी, वह अभिषेक की हमउम्र थी। उसका काम सुबह की सिफ्ट मे अपनी माँ की जगह वर्तन धोना और घर की साफ़ सफाई का काम करना था।  "अरे! अन्नू तू भी न सोने भी नहीं देती। इसके लिए तो मेरे पैरेंट्स ही काफी है। तू तो कम से कम रहम कर दिया कर। चल रख टेबल पर और तू जा।" - अभिषेक ने रजाई से मुँह निकालते हुए और अंगड़ाई लेते हुए कहा। उसके चेहरे पर धूप पड़ रही थी वह अपनी आँखों को खोलने का प्रयास कर रहा था। अभिषेक और अनन्या एक दूसरे को कई दिनों से जानते थे। जिससे वो दोनों एक परिवार के सदस्य की तरह हिल मिल गए थे। अनन्या चाय को टेबल पर रख कर जैसे ही बाहर को जाने के लिए मुड़ी। तभी.. "अन्नू! रुक!" अभिषेक ने पलकों को आधा खोलते हुए मुँह बनाते हुए कहा। "हाँ! बाबू ।" - अनन्या ने अभिषेक की तरफ मुड़कर कहा। "ये, बता कल रात तू! मेरी बर्थडे पार्टी