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शैतानी साया

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                   🦇शैतानी साया 🦇 ✍🏻 सोनू समाधिया 'रसिक 🇮🇳 मध्यप्रदेश के भिंड जिले में एक गाँव में प्रकाश (परिवर्तित नाम) का व्यक्ति रहता था, जो पेशे से धोबी था। सभी उसे पप्पू बुलाते थे।  पप्पू के एक लड़का और एक लड़की थी। लड़की का नाम माया था जिसकी उम्र तकरीबन १७ वर्ष होगी।  प्रकाश अपनी मेहनत से अपने घर की छोटी - मोटी सारी जरूरतों को सहजता से पूरी कर लेता था।  उसका परिवार खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा था।  पप्पू की लड़की माया बेहद खूबसूरत थी, उसका अच्छा स्वभाव उसके व्यक्तित्व में चार चांद लगा देते हैं।  माया जिस रास्ते से गुजरती तो सभी उसे देखते रह जाते थे, लेकिन उससे कुछ कहने की किसी की भी हिम्मत नहीं थी। इसका कारण उसके कड़क मिज़ाज़ का होना था।  माया और उसके घरवालों को इस बात का अंदेशा बिल्कुल भी नहीं था और न ही कोई आम आदमी इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता कि माया की खूबसूरती की कायल दूसरी दुनिया की शक्ति भी हो जाएँगी।  माया को बचपन से ही अपने आसपास किसी अदृश्य साये की मौजूदगी का एहसास होने लगा था।  एक बार पप्पू अपने गाँव के ही एक व्यक्ति खेत

प्रेत संतति

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                      💀प्रेत संतति 💀    ये वाकया आज से 5, 6 दशक पुराना है। घने और काले बादलों ने गाँव को अपने आगोश में ले लिया था।  शाम के समय ही ऎसा प्रतीत हो रहा था कि मानो रात के काले शाये ने दस्तक दे दी हो।  बरसात भी प्रारंभ हो चुकी थी।  कड़कती हुई बिजली के प्रकाश में गाँव के बाहर एक टूटी हुई झोपड़ी कभी कभी दृष्टि गोचर हो रही थी।  झोपड़ी में एक कोने में एक बुढ़िया अपनी जर्जर हो चुकी चारपाई पर अपने पेरों को हाथों में जकड़े हुई छत से आ रहे टपके खुद को भीगने से बचा रही थी।  वो बरसात के थमने का इंतजार कर रही थी।  दरअसल वो बुढ़िया उस गाँव में दाई (ऎसी औरत जो तत्कालीन समय में आधुनिक युग जैसी चिकित्सक सुविधाओं के अभाव में गर्भवती महिलाओं को चिकित्सीय सुविधा देती थी) का काम करके खुद का गुजारा करती थी।  वो 75-80 उम्र की रही होगी ये उसकी कपकपाते हुए शरीर से जाहिर होता है।  उसके पास ही एक लालटेन की रोशनी  उसके घर का टूटा हुआ दरवाजा दिख रहा था।  बिजली की चमक और गड़ गङाहट माहौल को असामान्य बना रहे थे। इस तूफानी रात में केवल वही बुढ़िया जाग रही थी वो भी अपने घर