इश्क़ की इन्तेहां
इश्क़ की इन्तेहां 💕💕 लेखक :_सोनू समाधिया रसिक 🇮🇳 "छोड़ो न अवि कोई देख लेगा। " "देख लेने दो। अब तुम मेरी हो और मेरा हक़ है प्यार करने का।" - अविनाश ने दिव्या को अपनी बाहों में खींचते हुए कहा। "मगर ऎसे प्यार कौन करता है?" "छिप - छिप कर प्यार करने का मज़ा ही कुछ और है, है न!" "अवि! एक बात पूछूँ।" - दिव्या ने अविनाश की गले में हाथ डालते हुए कहा। " हाँ, पूछो न, वैसे भी तुम मेरी मंगेतर हो और हर बात जानने का तुम्हारा हक़ भी बनता है।" "क्या तुम मुझे हमेशा इस तरह प्यार करोगे, शादी के बाद भी। "-दिव्या ने नर्वस होते हुए कहा। " हां, यार। तुम ही मेरी सबकुछ हो, मेरी जिंदगी, मेरा प्यार, मेरी हर धड़कन पर तुम्हारा नाम है। ये तब तक है जब तक तुम मेरी हो, ये वादा है मेरा तुमसे कोई भी हमको जुदा नहीं कर सकता।" " ओ! रियली आई लव यू अवि..... ।"-दिव्या ने अविनाश को गले से लगा लिया। "आई लव यू टू.... "