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Town of Death chapter - 8

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Town of Death chapter - VIII  (अध्याय - ०८ Dipti possessed by vikrant)  By_Mr. Sonu Samadhiya Rasik (अध्याय - ०७ से आगे)  "ये बाहर का गेट क्यूँ खुला हुआ है?" "गाइस, मुझे तो लगता है कि जरूर विक्रांत ने कुछ गड़बड़ किया होगा?" - प्रवीण ने संदेहवश कहा। "अंदर, जाकर देखना होगा। अंदर रोनित, रजनीश और निकिता भी तो थे न। जल्दी चलो।" - दीप्ति ने चिंता जताई। सभी लोग अंदर की ओर तेज़ गति से बढ़े। नेहा को भी होश आ चुका था। अब उसके कंधे का दर्द कम हो चला था।  प्रोफेसर ने जैसे ही बंगलो का गेट खोला तो सामने विक्रांत को खड़ा पाया।  " तुम....?" " हाँ मैं, क्या हुआ? प्रोफेसर। सभी लोग ऎसे मुझे क्या घूर रहे हैं!" - विक्रांत ने मुस्कराते हुए कहा।  "इसके साथ क्या किया तुमने?" - प्रवीण ने निकिता की ओर देखते हुए कहा।  निकिता बेहोशी की हालत में थी। जिसे विक्रांत ने अपने हाथों में उठा रखा था।  " ओ, सॉरी। मैं ये बताना भूल ही गया। दरअसल........ ।" " अब समझ में आया। तभी तुम गायब थे। तब से।" - दीप्ति ने बात काटते हुए कहा।  &quo

Town of Death chapter_Seven

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                      (अध्याय - ०७)                     Who's VIKRANT.....?  By - Mr. Sonu Samadhiya Rasik   Town of Death भाग - 01 Town of Death भाग - 02 Town of Death भाग - 03 Town of Death भाग - 04 Town of Death भाग - 05 Town of Death भाग - 06 भाग - 06 से आगे.......... (भाग - 07) “नहीं... मैं वेयरवुल्फ़ नहीं हूँ। मुझे बस एलर्जी है। वैसे आपको मुझे या फिर इस जगह को देख कर कुछ याद आया?” “यहाँ मैं पहली बार आई हूँ, दूसरी बार नहीं जो कुछ याद आए। वैसे तुम्हें देख कर मैं सेफ फील कर रहीं हूँ, जबकि तुम इंसानी शक्ल में एक आदमखोर नर - भेड़िये भी हो सकते हो? यार तुम क्या हो तुम? इंसान तो नहीं हो तुम इतना तो मुझे पता है। क्योंकि ऎसे खंडहर में और नर-भेड़ियों के बीच कोई आम इंसान तो नहीं रह सकता।"- नेहा ने खंडहर पर नजर डालते हुए कहा। शौर्य ने कोई जवाब नहीं दिया। नेहा ने लकड़ियों के ढेर की आग को तेज करने में मगन शौर्य को गौर से देखा। दिखने में तो शौर्य एक बेहद खूबसूरत राजकुमार जैसा लग रहा था। “लंबी - चौड़ी कद - काठी का लड़का नर - भेड़िया भी हो सकता है क्या?”-नेहा को यह प्रश्न स

भूतहा पुल

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                  भूतहा पुल भूतहा पुल  शंकरपुर गाँव में एक घर में शादी का माहौल था |शादी का दूसरा दिन था शाम हो चुकी थी |दुल्हन की बिदाई की रस्म पूरी हो चुकी थी,सभी की आँखे नम हो गईं थीं! सभी मेहमान रात का खाना खाने के बाद अपने अपने कमरे में चले गए |बरसात का मौसम था आसमान में बादल छाए हुए थे और थोड़ी देर बाद बरसात भी प्रारंभ हो चुकी थी |बारिस कई घंटों तक चली | रात को 2बजे के समय सब शांति से सो रहे थे कि एक कमरे में मोबाइल फोन बज उठा सभी मेहमान लगभग जाग चुके थे | "हेलो, हाँ मैं राकेश ही बोल रहा हूँ |आप कौन?" "हाँ डॉक्टर मेरी माँ की तबीयत केसी है अब" "क्या उनकी तबीयत बहुत खराब हो गई है और मुझे अभी वहां पहुंचना है, मैं अभी आया"|" " कौन था राकेश "राकेश के फूफा ने चिंतित मुद्रा में पूछा | " वो फूफा जी डॉक्टर का फोन था कह रहा था कि माँ की तबीयत खराब हो गई है और मुझे अभी बुलाया है और मै जा रहा हूँ" "पर बेटा इतनी रात को और ऎसे मोसम में कल चले जाते में भी तुम्हारे साथ चलता" "नहीं फ