धर्म परिवर्तन एक षड्यंत्र....
🏵️ [नाटक] 🏵️
धर्म_परिवर्तन. एक षड्यंत्र®
©✍🏻लेखक :~सोनू समाधिया रसिक 🇮🇳🚩
⚠️Disclaimer ⚠️
प्रस्तुत नाटक पूर्णतः कपोल कल्पित है। इसका किसी भी व्यक्ति, स्थान और किसी घटना से कोई संबंध नहीं है।
इस नाटक का उद्देश्य किसी भी समाज, धर्म और संस्कृति को ठेस पहुंचाना नहीं है।
इसलिए कृपया अर्थहीन बहस करके संकीर्ण मानसिकता का परिचय न दें।
🥀 पात्र परिचय 🥀
[स्टीफन /क्लोस ~ईसाईधर्म प्रचारक, बिरजू, दामोदर, धनीराम, प्रभात, दो मजदूर, दो ग्रामीण, दो हिंदू रक्षक संगठन के कार्यकर्ता]
(दृश्य १)
ईसाई कमीशनरियों को चलाने वाले दो व्यक्ति फ़ादर क्लोस और फादर स्टीफन अपने धर्म प्रचार के उद्देश्य से भारत के एक पिछड़े हुए गाँव में पहुंचे।
क्लोस और स्टीफन ने गाँव की ओर देखते हुए कहा।
स्टीफन :- फादर शायद ये गाँव देखने में काफी पिछड़ा हुआ लग रहा है!
क्लोस ( कच्चे रास्ते में गाँव की तरफ बढ़ते हुए) :चलो वहीं पास जाकर देखते हैं।
गाँव में सफ़ेद रंग के लिबास में क्लोस और स्टीफन को देखकर पास काम कर रहे गाँव के कुछ लोग उनके इकट्ठे हो गए।
बिरजू : - "(क्लोस और स्टीफन के करीब जाते हुए) राम राम साहब। रास्ता भूल गए का? "
स्टीफन(चिढ़ते हुए) :- what are you saying stupid! Get out of here.
दामोदर काका (समझाते हुए) :"बिरजू तुम दूर हटो, हम बात करते हैं इनसे।"
दामोदर काका ( क्लोस और स्टीफन) से :- भाई साहब हम सबको अंग्रेजी नहीं आती हिंदी में बात करो। मैं इस गाँव का मुखिया हूँ। इस गाँव में, मैं ही कक्षा 8 तक पढ़ा हूँ तो हिन्दी थोड़ी बहुत समझ में आती है।
क्लोस :-" ओह! अच्छा अच्छा, वो मैं बिरजू जी से इस गाँव के बारे में जानकारी ले रहा था।"
दामोदर काका :- " चलिए साहब, बैठ कर बातें करते हैं।"
स्टीफन ( क्लोस के कान में फुसफुसाते हुए) :-"
फ़ादर अपना काम बन गया? ये सभी अनपढ़ गँवार हैं।"
दामोदर, काका स्टीफन और क्लोस को चारपाई पर बिठा देता है।
स्टीफन और क्लोस एक लंबी साँस लेते शिथिलता पूर्वक आराम से चारों तरफ़ अपनी नजरों से गाँव को देखने लगे।
दामोदर(नम्रता पूर्वक) :- "साहब कुछ ठंडा गर्म लोगो।"
स्टीफन :-" जी नहीं शुक्रिया, दामोदर जी।"
दामोदर(हाथ जोड़कर) :-" ये हमारा अतिथि सत्कार है साहब, क्योंकि हम मेहमान को भगवान का रूप मानते हैं।"
क्लोस (मुस्कुराते हुए ) :-"ओके.... ओके!
दामोदर :-" तो फिर बतायीये हम आपकी क्या सेवा कर सकते हैं।"
स्टीफन (चारों ओर देखते हुए ) :-"दामोदर जी पहले ये बतायीये। सभी गाँव वाले समझदार लगते हैं और ये गाँव भी काफ़ी बड़ा है। फिर भी कोई विकास नाम की चीज़ नहीं है, ये देखो पक्की सड़क तक नहीं है।"
दामोदर :-"वो क्या है न साहब! परसों नेता जी आए थे उन्होने वादा किया है कि एक साल के अंदर गाँव के प्रसिद्ध शिव मंदिर तक पक्की सड़क बनवाएंगे और 5 हैंडपम्प भी गाँव में लगवाने का भी बोले हैं। "
क्लोस खड़े होकर गाँव वालों को संबोधित करते हुए कहता है
क्लोस :-" गाँव वालों! ये नेता, तुम्हारे शिव, कृष्ण और राम तुम्हें कुछ नहीं देंगे। सब तुम्हें मिलकर बेवकूफ़ बना रहें हैं अगर ये ग़लत.......
बिरजू (बीच में बात काटते हुए, गुस्से से) :- ओ भाई साहब सुनो, पहले मेरी बात को सुनो। तुम नेताओं के बारे कुछ भी बोलो हम, सुन लेंगे। ठीक है, सरकार के बारे में कुछ भी बोलो हम ये भी सुन लेंगे। लेकिन.... हमारे ईश्वर के बारे में कुछ बोलोगे हम ये बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। ठीक है राम राम।
स्टीफन ( बौखलाते हुए) :-" जस्ट शट अप ईडियट, इसे कोई रोको।"
धनीराम ( बिरजू को समझाते हुए) : - "माफ करना साहब, बिरजू मंद बुद्धि है। वैसे आप हमारे भगवान् को ऎसा क्यूँ बोल रहे हो?"
क्लोस बीच में आते हुए बोला
क्लोस (सभी गाँव वालों को समझाते हुए) :-" अरे धनीराम जी, मेरा उद्देश्य आपकी या फिर इस गाँव के किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था।
मैंने जो कहा है वह अगर गलत है तो कोई बताये। अगर तुम्हारा ईश्वर इतना दयालु होता तो तुम लोगों को लाचार और बेबस नहीं देखता। शिव, कृष्ण, राम और दुर्गा तो पाखंड और व्यापार का साधन हैं। जगह जगह बाबाओं के भेष में पाखंडी और लुटेरे मिलेंगे जो तुम जैसे भोले भाले लोगों को ठगते हैं। "
बिरजू अपने भगवान के अपमान की बातें सुनकर वहां से चला जाता है।
दामोदर काका (असमंजस में पड़ते हुए) :-" भाई साहब आपकी बात कुछ हद तक ठीक है लेकिन हमारी ऎसी दुर्दशा देख कर भी हमारे ईश्वर ने हम से मुंह मोड़ लिया। तो अब हमारी सहायता कौन करेगा, कौन सुनेगा हमारी फरियाद।"
स्टीफन :-" हम करेंगे आप सबकी सहायता, हम इस गाँव में स्कूल, कॉलेज, सड़क, बिजली और पानी की समस्या को दूर करेंगे। हम नेताओं की तरह वादा नहीं करते। इस गाँव में कल से ही काम शुरू कर दिया जाएगा।"
सभी लोग खुशी से ताली बजाने लगते हैं।
धनीराम (जिज्ञासावश) :-"लेकिन ये सब भला आप क्यूँ करेंगे। इसमें आपको क्या लाभ है?"
क्लोस :-" हम नेता नहीं है न ही कोई पाखंडी साधु जो हम अपने लाभ के लिए ये सब करेंगे। वो तो जो काम तुम्हारा भगवान नहीं कर सकता उसे इशू करतें हैं। हम उन्ही के कहने पर यहाँ आएं हैं
(ईशा मशीह को नमस्कार करते हैं)
धनीराम :-"ये इशू कौन हैं आपके बड़े भाई..... ।"
स्टीफन :" अरे भई! वो हमारे भाई नहीं हम सबके गॉड फादर हैं, ईश्वर हैं। हम सब उनके बच्चे है। इस तरह आप सब हमारे भाई हुए इसलिए हम आपकी सहायता कर रहें हैं।
सभी लोग फिर से तालियाँ बजाने लगते हैं।
दामोदर और धनीराम हाथ जोड़ते हुए :-"धन्यवाद आपका, भाई साहब।"
क्लोस (गाँव वालों को संबोधित करते हुए) :-"मेरे भाईयों और बहनों कल सुबह हम यहाँ चर्च और एक स्कूल का काम शुरु करेंगे। इससे पहले आप सभी को अपने लापरवाह ईश्वर को छोड़कर गॉड जीसस. की प्रेयर में शामिल होकर उनकी शरण में जगह बनाने होगी जिससे जीसस का रुख हमेशा आप सबकी ओर हो। क्या आप सभी इशू की शरण में जाने के लिए तैयार हैं? "
सभी लोग :-"हाँ हम सब तैयार हैं। "
क्लोस :-" दामोदर जी, अब चलिए, हम दोनों को गाँव की सेर करवा दीजिए।"
दामोदर :- " जी साहब.... चलिए। "
सभी गाँव वाले अपने घर को चले जाते हैं।
कुछ दूर चलने के बाद.....
क्लोस :-" दामोदर जी आप मुझे साहब की जगह फ़ादर बुला सकते हैं।"
क्लोस ने स्टीफन को इशारा किया।
स्टीफन :-" दामोदर! एक बात बताओ। "
दामोदर :-" क्या फादर? "
स्टीफन :-" अगर हम तुमको एक दिन में ही धनवान बना दे, तो... ।"
दामोदर (खुश होते हुए) - :"अगर ऎसा हुआ फादर तो मैं जीवन भर आपका एहसान नहीं भूलूंगा।"
स्टीफन :-" तो फिर मेरी बात ध्यान से सुनो। तुम पढ़े लिखे समझदार और इस गाँव के मुखिया हो इसलिए हमने तुमको चुना है।
अगर कल सुबह तुम सारे गाँव वालों को लेकर जीसस की प्रेयर में ले आओ और सबको ईसाई बना दो तो मैं तुमको करोड़पति बना दूंगा। ये मेरा वादा है तुमसे। लेकिन एक बात का ध्यान रखना ये बात गाँव से बाहर नहीं जानी चाहिए। जब तक सभी ईसाई न बन जाएं।"
दामोदर (खुश होते हुए) :-"सच में...??? "
क्लोस :-" हाँ सच में.... । ये लो अपना एडवांस..।"
क्लोस ने कुछ नोट दामोदर के हाथ में थमा दिए।
दामोदर :-" आप लोग टेंशन मत लेना। कल सभी प्रेयर में जरूर शामिल होंगे और ईसाई भी बनेंगे।"
दामोदर खुशी से झूमते हुए और नोटों को चूमता हुआ अपने घर को चला गया।
ये सब देखकर स्टीफन और क्लोस मुस्कुराने लगतें हैं। "
(दृश्य २)
दूसरे दिन सुबह....
क्लोस और स्टीफन कुछ मजदूरों के साथ गाँव की पूर्व निर्धारित जगह पर पहुंच गए। जहां जीसस की प्रेयर के बाद सभी को ईसाई धर्म अपनाना था और उस जगह पर चर्च बनना था।
क्लोस और स्टीफन भीड़ को जमा देख कर काफी खुश हुए।
क्लोस ( गाँव वालों को संबोधित करते हुए) :- मेरे भाईयो और बहनों! देखा आपने मैंने जो कहा वो किया। हम आगे ऎसे ही अपने गरीब भाईयों और बहनों की सहायता करते रहेंगे बस आप लोगों का साथ चाहिए।"
सभी लोग एक साथ :-" हम सभी हमेशा आपके साथ हैं, फादर। "
स्टीफन :-"तो क्या आप सभी इशू की शरण में जाकर उनका आशीर्वाद लेने के लिए तैयार हैं? "
भीड़ (उत्साहित होते हुए) :-" हाँ.... हाँ हम तैयार हैं, बतायीये इसके लिए हम सबको क्या करना होगा।"
स्टीफन :-"इसके लिए आप सबको जीसस की प्रेयर में शामिल होकर, कुछ दस्तावेजों पर अपना अँगूठा लगाना होगा। बस इसके बाद हम आपको राशन, और रोजगार भत्ता देकर contraction का काम शुरू करेंगे।
चलो सभी इशू की प्रेयर में शामिल होते हैं।
सभी बोलेंगे।
आमीन...... ।"
भीड़ :-"आमीन.... ।"
गाँव वाले स्टीफन के साथ जीसस की प्रेयर करने के जाने लगते हैं।
क्लोस (दामोदर से) :-" दामोदर! तुमने तो बोला था कि सभी लोग आएंगे तो बिरजू क्यूँ नहीं आया। कहीं वो हमारा काम बिगाड़ने का प्लान न बना रहा हो? "
दामोदर :-" फादर आप चिंता मत करो, आप चलिए मेरे साथ उसे घसीटकर लातें हैं।"
(दृश्य ३)
सभी लोग बिरजू के घर पहुंच जाते हैं तो देखते हैं कि बिरजू पूजा कर रहा था। जिसे देख कर दामोदर गुस्सा हो जातें हैं।
(श्री राम, जानकी बैठें हैं मेरे सीने में..........)
दामोदर (बिरजू के पास जाकर) :- बिरजू..... ।
बिरजू अनसुना कर देता है
दामोदर :-" ओ बिरजू बेटा।........ बेटा जे सब बंद करो पहले हमाई बात सुनो..... ।
बिरजू :-" हाओ बोलो का के रये? "
दामोदर :-" जे केय रये, फ़ादर जो पूजा करवाय रये हैं वामें शामिल काय नयीं भए?"
बिरजू :-" देखो कक्का हम कात हैं साफ। हमेंन नयी होने शामिल बिनकी पूजा में और न ही हमें बन्ने अंग्रेज। हमाऐ सिब कछु जेई हैं (शिव जी की ओर इशारा करते हुए) और जे जेसे रखेंगे हम बई में खुश हैं। एक बात बताय दें तुमको जे भूरे आदमी काऊ के नई होने। ठीक है।"
दामोदर(गुस्से में) :-" मतलब जे है कि तुम मानोगे नई।"
बिरजू :-" नई.... ।"
दामोदर -" रुको भ्याल बतात हैं, धनीराम...... ओ धनीराम...।"
धनीराम (पास जाते हुए) :-" का कये रए दद्दा।"
दामोदर :-"ऎसे नई मानेगो जे लगे तो जामे तीन चार, लातन के भूत बातन से थोरऊ मान्त।"
धनीराम बिरजू को धक्का देकर गिरा देता है।
स्टीफन और क्लोस:-" (मारो इसे daffer को"
कुछ लोग जाकर बिरजू के पूजा का सामान फेंकने लगते हैं। बिरजू इसका विरोध करता लेकिन वह अकेला असहाय था।
तभी पर्दे के पीछे से आवाजें आतीं हैं
वंदेमातरम्, भारत माता की जय, जय श्री राम
यह सुनकर सभी रुक जाते हैं। और अचंभित हो जाते हैं।
क्लोस :- ये कौन है दामोदर?"
दामोदर (परेशान होते हुए) :-"अब जे को आय गओ?"
बिरजू कराहते हुए बैठने की कोशिश करता है। और कहता है कि
" जे हिंदूरक्षक संगठन के अध्यक्ष प्रभात जी हैं। हमने ही इनको बुलाया है इन गोरे लोगों की करतूत बताने के लिए।"
क्लोस और स्टीफन घबरा जातें हैं
स्टीफन :-"फ़ादर मुझे तो यहाँ मामला गड़बड़ लग रहा है? "
क्लोस :-"सही कहा, आगे मामला ज्यादा गड़बड़ हो उससे पहले हमें यहां से निकल लेना चाहिए।"
क्लोस और स्टीफन अपना सब कुछ छोड़कर वहां से भाग जाते हैं।
तभी हिंदूरक्षक संगठन के अध्यक्ष प्रभात अपने दो अन्य साथियों के साथ प्रवेश करते हैं।
वो टूटे हुए और बिखरे पड़े समान को देख कर पूरी स्थिति को समझ जातें।
प्रभात :-" दामोदर जी, ये क्या करवा दिया आपने, अपने हाथों से ही अपने ईश्वर और अपनों का अपमान।"
दामोदर :-"कौन ईश्वर, कौन अपने... ।
जो ईश्वर सभी को समान दृष्टि से नहीं देख सकता वो काहे का ईश्वर है। और जो इंसान अपनों की खुशी नहीं देख सकता वो अपना कैसा?"
प्रभात :-"ये आप नहीं बोल रहे, दामोदर जी। ये तो आप पेसों के लालच के वशीभूत होकर बोल रहो? "
दामोदर :-"कैसा लालच? मुझे तो वह ईश्वर पसंद है जो सभी को सभी को समान दृष्टि से देखे सभी लोगो को अपने बेटों जैसा प्यार दे।"
प्रभात :-" कौन से ईश्वर को बात कर रहे हैं आप?"
दामोदर :" इशू की जो सभी को एक समान मानते हैं?"
प्रभात :-" दामोदर जी, ये बतायीये आप जिन्हे इशू जी के बेटे बता रहे हैं। क्या ये १०० साल पहले नहीं थे? जब हमारा देश इन गोरों का गुलाम था। जब ये हमारे पूर्वजों की हंटर से चमड़ी उदेङ देते थे। तब इशू नहीं थे क्या?"
दामोदर :-" लेकिन......? "
प्रभात :-" क्या लेकिन दामोदर जी..। अब आप ही बताइये। कहां है आपके भाई जिन्हे इशू ने भेजा था आपकी हेल्प करने के लिए। "
दामोदर क्लोस और स्टीफन को ढूंढने के लिए अपनी नजरों को चारों ओर घुमाता है।
दामोदर :-" धनीराम फादर कहां गए।"
धनीराम :-" दद्दा हमें तो एसो लग रहो हे कि वे दोनों भग गए।"
प्रभात :-"दामोदर जी वो दोनों अपनी पोल खुलने के डर से भाग गए हैं। अब तो आपको समझ आ जाना चाहिए।
वो लोग आप सबको खाना, पेसों का लालच देकर हिंदू से धर्म परिवर्तन कराकर ईसाई बनाना चाहते थे जिससे वो लोग आप सबको अपना गुलाम बना लेते। और ये देखिए (कागजों को अपने हाथ में लेकर) इन कागजों पर अंगूठा लगवाकर आप सबकी जमीन भी हङपना चाहते थे जिन्हे आप अपना शुभ चिंतक समझ रहे थे। "
दामोदर (हाथ जोड़ते हुए) :-" प्रभात जी आपने समय पर आकर हम सबकी जिंदगी बचा ली। मुझे माफ कर दो मैने ये सब पेसों के लालच में आकर किया था।"
प्रभात - " मैंने कुछ नहीं किया दामोदर जी, आप सभी को तो बिरजू का धन्यवाद करना चाहिए। अगर वह समय रहते मुझसे संपर्क नहीं करता तो अभी तक आप लोग अपना सब कुछ गँवा चुके होते। "
दामोदर (बिरजू के आगे हाथ जोड़ते हुए) :-" बेटा हमें माफ कर देओ। हमने तुमको गलत समझे और ये बुरा बर्ताव करो।"
बिरजू :-" अरे कक्का दुखी मत हो, आप बड़े हो कोउ बात नई। सब कृपा तो ऊपर वाले की जो समय रहते सब ठीक कर दिया।
धन्यवाद 🙏 प्रभात जी।
दामोदर बिरजू को गले लगा लेते हैं और सभी मिलकर जय श्री राम के नारे लगाते हैं।
(पर्दा गिर जाता है)
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