सब ए मेहताब Romantic good night shayari
सब - ए - मेहताब
By UniquePratibha
रातको को देर तक, जो मै जागती..,
तो सुबह भी ऊठनेमे देर होजाती
तभी हसीन सुनहरी सुबह, आकर मुझे जगाती....
हलकासा गालों पे स्पर्श करते हूए कहती....
अरे....! तुम अबतक सोरही हो....
उठो.... ! तुम्हें दिनभर चलना है..
खुद के लिए कुछ अपनो के लिए
जीवन की आग में जलना है...।
और ऊसिकी बाते सुनकर तेजी से उठती...।
कुछ किया ना किया तो,
यहा वहा घुमती, वो दोपहर आ ठहरती.....
मै घर के कामों में, उलझी रहती
वो आकर मुझे कहती....
अरे.... वो पगली... !
बंद कर ये काम...
खाना खाकर आराम भी कर लिया कर कभी.....!
तभी दिल दास्ता खिलती होगी.. तमाम श्रम जो इतना दिनभर करोगी....
बताओ कब सुकून से जिओगी.....
उसने कही बातें, मै दिलमे बसाती.... और काम दुर होजाती....।
कुछ लम्हों के बाद वो भी चली आती....
मेरी चाय में, उसकी यादें मिलाती...
हस्ते ई मेरे साथ..., कोई गीत गुनगुनाती और कहती....,
मेरे साथ कभी टहलने चलो तुम.....
कभी सुर अरमानों के छेडो तुम.....,
ना यु, गम के सितारों से माउस हो तुम....,
बस मेरी तरहा कभी खुबसूरत बनो तुम.... ।
ए ऐसी ऊसिकी बाते मेरे दिल को भाजाती....,
हम दोनो कि बाते भी, रंगीन हो जाती...।
बिना दिखे ए कितना सिखा जाती है...,
नजाने कितने दिलो को रोज...मचलाती है....,
हा एही तो खिलखिलाती,
महकती शाम कहलाती हैं....।
वो चमकिले तारे, हवाओके ईशारे
मेरे पास ही उसके, भटकते नजारे...
मुझे जागती देखकर..., बेताबी से कहती....,
थकि हो ना तुम.... चलो सोजाना है
कल जल्दी उठकर फिरसे काम में लगना है....
क्योंकि तुम्हारा भविष्य, तुम्हे खुद बनाना है....
ऊसकी बातों पर मै पुरा ध्यान देती...,
जागनेसे, खुदको रोकनेका प्रयास करती...।
धिरेसे मेरी पलके झिपतेही आखें बंद हो जाती....,
ऊसकी आगोश में ही... मै खुद को सिमटकर सोजाती....,
और वो जो है...ना...मुझे चैन से सुलाने वाली... एक रात होती....।
जरूर ए चारों पहर अजनबी होती है..., नये दिन के साथ, नये खाँब लाती है...।
इसिलिये ए मेरी हमेशा कि साथी होती है.....।
वो ही तो..... सुबह....,दोपहर शाम....., और रात..... होती हैं.....।
By UniquePratibha
©Copyrighted by Sonu Samadhiya Rasik
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राधे राधे 🙏🏻