Hanging A dead body in the house - A Hindi Horror story 2022 by Mr. Sonu Samadhiya Rasik
Hanging A dead body
In the house
By_Mr. Sonu Samadhiya Rasik
ये बाकया मेरे बचपन में घटित हुआ था।
जब मेरी बहन और मैं बच्चे थे।
हमारा परिवार कुछ समय के लिए शहर से दूर अपने एक आकर्षक पुराने फार्महाउस में रहा।
हमें इसके धूल भरे कोनों में छिपना और उसके बैकयार्ड में खड़े सेब के पेड़ पर चढ़ना पसंद था।
लेकिन एक बात हम दोनों को अचरज में डालने वाली थी। उस घर में हमारी पसंदीदा सभी चीजें असामान्य थीं।
एक दिन हमें खेलते हुए बेसमेंट में लकड़ी के एक पुराने से बॉक्स में एक पुराना अखबार मिला। जिसे हमने रात को पढ़ने का प्लान बनाया। जिससे मॉम और डेड को पता न चले।
उसी रात मैं और मेरी बहन उस पुराने फार्महाउस में अकेले थे। मौसम खराब होने के कारण मोम और डैड शहर वाले घर में थे। मेरे मोम और डैड दोनों जॉब करते हैं। जॉब के सिलसिले में वो मेरे शहर वाले घर से फार्महाउस पर डेली अपडाउन करते थे।
हम दोनों मॉम और डैड का वेट न करते हुए, रात का खाना खाने के बाद अपने रूम में चले गए। क्योंकि हम जानते थे कि मौसम खराब होने से इलैक्ट्रिकसिटी कट हो जाती है।
हालांकि इलैक्ट्रिकसिटी के बैकअप के लिए जनरेटर था। लेकिन सवाल तो ये था कि उसे स्टार्ट करने के लिए बैकयार्ड में कौन जाए। वो भी इतने खराब मौसम में।
मैं अपनी बहन को Town of Death वाली स्टोरी सुनाने लगा। क्योंकि उसे वेयरवुल्फ़ और वैम्पायर्स की स्टोरी सुनना बहुत पसंद है।
बरसात शुरू हो चुकी थी। जिससे बिजली भी जा चुकी थी।
हमें इससे फर्क नहीं पड़ा और हमने कैंडल लाइट में स्टोरी को कंटिन्यू् रखा।
तभी अचानक से नीचे हॉल में रखा लैंडलाइन बज उठा। उसकी तेज आवाज से हम दोनों कांप उठे। हम दोनों गंभीर और शांत मुद्रा में एक दूसरे के चेहरे को देखे जा रहे थे।
“भाई! उठा न फोन।”
“हाँ....अभी आया।”
मैं अपने हाथ में कैंडल लिए हॉल में गया। मेरी निगाहें लैंडलाइन पर न होकर उस हॉल के अंधेरे के आगोश में सिमटी दिवारों पर और मैन गेट पर था क्या पता कोई वैम्पायर या फिर वेयरवुल्फ़ मेरी ताक में हो?
लेकिन ऎसा कुछ नहीं था ये सब मेरा वहम और स्टोरी का असर था।
जैसे ही मैं फोन उठाने के लिए आगे बढ़ा तो मैं वहां पड़ी एक लकड़ी की चेयर से टकरा गया।
वह घर की मूल साज-सज्जा में एक प्राचीन लकड़ी की कुर्सी थी। जिसका उपयोग हम टीवी देखते वक़्त फ्री टाइम में करते थे।
जिसे मैंने कुछ देर पहले दीवार से सटा कर रखा था। वह सेंटर में कैसे आ गई। जरूर ये श्रुति (मेरी बहन) का काम होगा! ऎसा सोच कर मैंने गुस्से से उस कुर्सी को धक्का मारा। जिससे वह थोड़ा खिसक कर धड़ाम से गिर गई।
“हैलो कौन?” - मैंने फोन को उठाते हुए पूछा।
“सुनो बेटा! मैं माँ बोल रहीं हूँ। मैं और आपके डैड लेट हो जाएंगे तो तुम दोनों खाना खा कर सो जाना। और हां श्रुति को डराना मत और घर का मैन गेट लॉक कर देना ठीक है।”
“ओके मॉम!”
मैं जैसे ही फोन रख कर रूम की ओर मुड़ा तभी पीछे से श्रुति आ गई।
“क्या हुआ भाई? किस चीज की आवाज थी?”
उसका अचानक से आना मुझे डरा गया।
“अबे पागल तुझे जरूरी था। यहां आना फालतू में डरा दिया। और ये चेयर तूने रखी होगी बीच में। मेरे कितने मना करने के बाद भी।”
“नहीं भाई, आपने ही रखी होगी।”
“चल अब, बहाने बहुत बनाती है।”
हम दोनों अपने कमरे में पहुंच गए।
“चलो स्टोरी को कंटिन्यू् करते हैं।”
“नहीं भाई अब सोते हैं। बिजली भी नहीं है और मुझे डर भी लग रहा है।”
“अच्छा अभी तो मुझे डरा दिया था।”
“प्लीज भाई।”
“चल ठीक है, सो जा। और हाँ डरना मत मैं हूँ न तेरे साथ।”
तभी मुझे उस पुराने अखबार की याद आ गई।
“श्रुति! चल वो अखबार पढ़ते हैं। कल सुबह तो मॉम डेड आ जाएंगे। फिर पढ़ नहीं पाएंगे।”
“ओके भाई।” - श्रुति जिज्ञासावस बेड पर बैठ गई।
मैंने खड़े होकर बेड के नीचे से बॉक्स निकाला। जिसमें वो अखबार रखा था।
रूम का गेट खुला तो हम दोनों चौंक गए और डरकर बॉक्स को छिपा लिया।
मैंने देखा एक औरत अपने हाथ में ट्रे लिए हुए है और उस ट्रे में दो कप रखे हुए हैं।
“मॉम अभी आपने बोला था कि आपको आने में देर लगेगी।”
“बहस मत करो। दूध पियो और सो जाओ।”
मॉम का ऎसा बिहेवयर मैंने पहली बार देखा था।
कैंडल की कम रोशनी में वो दिख भी नहीं रही थी।
वैसे मेरी मॉम रात को मुझे इससे पहले कभी दूध पीने को नहीं दिया। मुझे कुछ अजीब लगा लेकिन मेरी उनसे पूछने की हिम्मत नहीं हुई।
उनके जाने के बाद मैंने और श्रुति ने अखबार पढ़ा।
उस अखबार में उसी फार्महाउस की मालिक एक विधवा औरत की सुसाइड की न्यूज छपी थी।
जिसे पढ़कर हम दोनों की रूह काँप उठी।
उसमें लिखा था कि कुछ साल पहले एक विधवा महिला इस फार्महाउस में अपने एक बेटे और एक बेटी के साथ रहती थी।
एक रात उस औरत ने अपने बेटे और बेटी को दूध में जहर मिलाकर मार डाला और खुद फांसी लगा ली थी।
अखबार के उस आर्टिकल में फार्महाउस के रहने वाले कमरे की एक तस्वीर शामिल थी, जिसमें एक महिला का शरीर बीम से लटका हुआ था। उसके नीचे, वह पुरानी लकड़ी की कुर्सी थी, जो कमरे के बिल्कुल बीच में रखी थी।
डर से हमारी साँस गले में अटक गई।
तभी मेरी नजर नाइटस्टैंड पर रखे दूध के दो कप पर गई।
अब मुझे कुछ बातें समझ में आ रहीं थीं कि क्यों वह कुर्सी हमेशा कमरे के सेंटर में ही मिलती थी।
हम कुछ सोचते कि तभी लिविंग रूम में चीजों के गिरने और खिसकने की आवाजें आने लगी।
श्रुति डर कर मेरे पीछे छिप गई।
मैंने हिम्मत करके कैंडल ली और लिविंग रूम में पहुंच गया। श्रुति भी डरते हुए मेरे पीछे पीछे चल रही थी।
लिविंग रूम में पहुंच कर मैंने अपनी जिंदगी का अब तक का सबसे खौफनाक मंजर देखा था। वह घटना मुझे बुरे सपने की तरह आज भी याद है।
मेरे सामने रूम के बीचोंबीच बीम से एक महिला फांसी पर लटकी हुई है। उसकी जीभ होंठों के बीच थी और आँखे निकली हुईं थीं।
शरीर अकड़ चुका था और उसके नाक से खून निकल रहा था।
वह आवाज कुर्सी के खिसकने की थी।
तभी हवा के एक झोंके से मेरे हाथ की कैंडल बुझ गई। मैंने हङबङाते हुए जल्दी से कैंडल जलाई तो देखा कि फांसी पर लटकी महिला की लाश गायब थी।
तभी मेरे पीछे से आवाज आई।
“तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था, तुम दोनों को तो दूध पीकर हमेशा के लिए सो जाना चाहिए था।”
जैसे ही मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मेरी चीख निकल पड़ी वही महिला मेरे पीछे खड़ी थी।
उसे देख कर मैं अचेत हो कर एक अंधेरी दुनिया में शून्य हो गया।
सुबह मेरी आँख खुली तो मैंने खुद को बेड पर पाया।
मेरे पास माँ, डैडी और श्रुति बैठे थे। तभी मेरी नजर नाइटस्टैंड पर गई वहाँ पर रात वाले दो कप अभी रखे थे।
तभी श्रुति मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहती है कि वो सब भूल जाओ।
मैंने श्रुति को हैरानी भरे लहजे से देखा तो मेरा दिल बैठ सा गया। श्रुति का चेहरा बिल्कुल बदल गया। उसके नाक से खून निकल रहा था।
वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।
मैं कुछ कह नहीं पा रहा था।
तभी मेरी माँ मेरे पास आती हैं और कहती हैं कि
“हम ये घर अभी छोड़ रहें हैं।”
शायद मॉम ने वो अखबार पर पढ़ लिया था।
✝️समाप्त ✝️
🌹🌹 राधे राधे 🙏 🌼
वाह सोनू जी आपने तो समाँ बाँध दिया👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
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