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रात का अंजान सफ़र True Hindi Horror Story by Sonu Samadhiya Rasik

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रात का अंजान सफ़र  By - SS₹ अमावस्या की रात थी। घड़ी में ठीक 12 बज रहे थे, और सड़क पर गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था। रमेश, एक अनुभवी टैक्सी ड्राइवर, उस रात की शिफ्ट पूरी करने की तैयारी में था। आमतौर पर रात के इस समय तक रमेश की गाड़ी सवारियों से खाली हो जाती थी, लेकिन इस बार उसे अपने घर से काफी दूर जाना पड़ा था।  सड़कें सुनसान थीं। आसमान में बादल छाए हुए थे, और हल्की ठंडी हवा चल रही थी जो सीधे रूह में उतर रही थी। रमेश का ध्यान सड़कों पर था, लेकिन उसके मन में अजीब सी बेचैनी होने लगी थी। अचानक उसने देखा कि सड़क के किनारे एक औरत खड़ी है। उसने सफेद साड़ी पहनी हुई थी, बाल खुले थे, और चेहरा झुका हुआ था।  रमेश ने गाड़ी रोकी। ऐसे सुनसान में किसी को अकेला छोड़ना उसे ठीक नहीं लगा। खिड़की से बाहर झांकते हुए उसने धीमी आवाज़ में पूछा, “कहाँ जाना है, बहन जी?” औरत ने बिना कुछ कहे गाड़ी में बैठने का इशारा किया। रमेश को थोड़ा अजीब लगा, लेकिन उसने सोचा कि हो सकता है कि औरत को कोई मदद की जरूरत हो। उसने दरवाज़ा खोला, और औरत धीरे से पीछे की सीट पर बैठ गई।  रमेश ने जैसे ही गाड़ी चलाई, उसे महसूस हुआ कि

कामुक प्रेतनी A True Indian legends of lust and fear Season 01 by Sonu Samadhiya Rasik

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तेज तूफानी रात में किशनपुर के जंगल से सटा डाक बंगला मॉमबत्तियों की रोशनी से जगमगा रहा था, बाहर बिजली की तेज गड़गड़ाहट और प्रकाश में अमावस की रात के अंधेरे में लुप्त प्रायः कभी-कभी तेज गिरती पानी की बूँदो के बिखराव से उत्पन्न धुंध में आसपास के दैत्याकार वृक्ष भीगते हुए दीप्तिमान हो जाते। पेड़ों की पत्तियों पर गिरतीं बरसात की बूंदें तथा बरसाती कीड़े  अकर्ण प्रिय मिश्रित ध्वनि उत्पन्न कर रहे थे।  इसी शोरगुल में, डाक बंगले का एक कमरा तेज हवा के थपेड़ों की वजह से बेतहाशा लहराते पर्दों और बंद पड़ीं खिड़कियों के टकराने की आवाज के साथ कामक्रीड़ा में लिप्त जोड़े की मादक आहों एवं सिसकियों गुंजायमान हो रहा था।  हमबिस्तर खूबसूरत निर्वस्त्र युवती अपने साथी युवक को अपनी कोमल बाहों और पैरों से अपने सीने से सख्ती से लिपटाए हुए अपनी आँखे बंद करके और तेज सिसकियों के साथ चरमसुख का अनुभव कर रही थी।  तेज बरसात की वजह से सर्द होती रात का लुफ्त दोनों पूरे जोश के साथ एक दूसरे को परमसुख का अनुभव कराके उठा रहे थे।  कुछ क्षण बाद उस युवती ने मुस्कुराते हुए अपने साथी को बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर सवार

वेंडिगो –एक आदमखोर राक्षस A terrify Story by Sonu Samadhiya Rasik

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यह वाकया मेरे साथ बचपन में हुआ था। जब मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ एक रात बर्थडे पार्टी एंजॉय करने के बाद वेंडिगो को एक को मिथिक प्राणी समझ कर उसके बारे में बात कर रहे थे। उसी रात से मैंने ख़ुद के और अपने कुछ दोस्तों के अंदर कुछ अजीबो गरीब बदलाव देखे। मेरे दोस्त और घर वालों को कहना था कि मैं और मेरे कुछ दोस्त अंजाने में की गई गलती की सजा भुगत रहें हैं और हमारी आत्मा वेंडीगो एक आदमखोर राक्षस की आत्मा से ग्रसित हो गई है। असल में, वेंडिगो एक पौराणिक प्राणी है जो उत्तरी अमेरिकी जनजातियों की मिथकों और किंवदंतियों में पाया जाता है। यह एक भयानक और खतरनाक प्राणी माना जाता है, जो मानवों को खाने के लिए जाना जाता है। वेंडिगो को अक्सर एक लंबा, पतला और भयानक दिखने वाला प्राणी बताया जाता है, जिसकी आँखें लाल होती हैं और जो एक अजीब और डरावनी आवाज निकालता है। यह प्राणी अक्सर जंगलों और पहाड़ों में रहने वाला बताया जाता है, और यह मानवों को अपने शिकार के रूप में चुनता है। वेंडिगो के बारे में कई कहानियाँ और किंवदंतियाँ हैं, जिनमें से कुछ में यह बताया गया है कि यह प्राणी एक मानव की आत्मा को अपने अ

Town of Death CHAPTER - 14

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    ☠ Town of Death ☠                           अध्याय - १४                       † ख़ुफ़िया द्वार †           By Mr. Sonu Samadhiya 'Rasik'  अध्याय - 13 से जारी..... विक्रांत, अपने साथियों के साथ अपने बंगले पर पहुंच गया था। रोनित और रजनीश अपने हाथों में जलती हुई मसाल लिये और दूसरा मानव- भेड़िया साथी बेहोश अलका को अपने कंधे पर उठाये हुए, उसके पीछे चल रहा था।  विक्रांत ने बंगले का बाहर का दरवाजा खुला देख तो उसकी आँखे आशंकित हो चमक उठी। उसे दाल में कुछ काला लगा।  शाम के लगभग सात बज रहे थे, सर्दी और कोहरा अपने सबाब पर थे। विक्रांत दौड़ता हुआ बंगले के अंदर गया और सीधा नेहा, प्रोफ़ेसर और प्रवीण के कमरे में झाँक कर देखा तो वहाँ किसी को न पाकर गुस्से से पागल होने लगा। तभी उसे उसी कमरे के एक कोने में दीप्ति और निकिता बेहोश और रस्सियों में बंधी हुईं दिखीं तो उसे सब समझ में आ गया। “रोनित.... तुम इन दोनों को रस्सियों से रिहा करो और रजनीश तुम, अंदर और बाहर देखो.. और जहाँ भी, कोई भी मिले उसे मार डालो, बेरहमी में कोई कसर नहीं रहनी चाहिए, बस मेरी नेहा को कोई नुकसान मत पहुँचाना...” “जी! मालिक

Town of Death CHAPTER - 13

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 Town of Death CHAPTER - 13               अध्याय - १३     † मोहिनीगढ़ का एकलौता नर -पिशाच † By_Mr. Sonu Samadhiya Rasik अध्याय 12 से आगे..... शाम के 4 बजे थे, सूर्य लगभग क्षैतिज में छिप चुका था, जिससे कोहरा और भी गहरा गया था।  चारों तरफ से भेड़ियों की आवाजें सुनाई देने लगीं थीं। जो शरीर में सिहरन पैदा कर रही थी।  सभी लोग जल रहे अलाव के पास कंबल औढ़े हुए सर्दी से बचने की कोशिश कर रहे थे। सबसे अलग खड़े शौर्य की नजर डूबते हुए सूरज पर थी।  “अंधेरा होने वाला है, हम सबको चौकन्ना रहने की जरूरत है। क्योंकि वो कभी भी अलका को लेने आ सकते हैं!” - शौर्य ने सभी को और मुड़ते हुए कहा।  “तुम्हारे हाव भाव देख कर लगता है कि वो कोई आम इंसान नहीं बल्कि कोई ताकतवर इंसान है?” - हर्षित ने शौर्य की ओर संदेह और जिज्ञासा भरे लहजे में देखा।  “हाँ.... कह सकते हो... वो ताकतवर है...” शौर्य ने हर्षित के करीब आकर कहा। “.... हैवान भी क्यों कि वो मेरा भाई है...” शौर्य की नजर हर्षित की नजरों से जा मिली।  हर्षित को आभास हो चुका था। कि शौर्य की बातों में सच्चाई है।  “हमें क्या करना चाहिए, शौर्य!” - संजना ने तत्परता दिखाई।

Town of Death ☠ CHAPTER - 12

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          Town of Death CHAPTER - 12           प्राचीन तिलिस्म किताब का रहस्य By - सोनू समाधिया रसिक 🇮🇳 [sᴜᴘᴘᴏʀᴛ ᴍᴇ ᴅᴏɴᴀᴛᴇ ᴡɪᴛʜ ᴜᴘɪ ——————------------------------ sonusamadhiya10@paytm]  अध्याय - ११ से आगे ~ प्रवीण की आँखें कमरे में किसी के कदमों की आहट से सहसा खुल गईं। उसने तुरंत अपनी रजाई को हटाकर बाहर देखा तो सामने नेहा खड़ी थी।  “अरे यार! तूने तो मुझे डरा ही दिया।” - प्रवीण ने टेबल पर रखी घड़ी में टाइम देखते हुए कहा।  सुबह के 7 बज चुके थे। प्रवीण ने अपने हाथ मलते हुए रजाई के अंदर कर लिए।  “खड़ी क्यूँ है? बैठ.... आज सर्दी बहुत है यार।”  नेहा, बिना कुछ बोले प्रवीण के बेड के पास रखी चेयर पर बैठ गई।  बाहर बहुत घना कोहरा था। आज सूर्यनारायण भगवान के दर्शन मुश्किल थे।  नेहा और प्रवीण कुछ देर के लिए मौन होकर खिड़की से बाहर मोहिनीगढ़ के मनुहुश वातावरण की ओर देखने लगे। बाहर एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी।  मौन मुद्रा में खड़े विशालकाय वृक्षों ने हल्की बर्फ़ की चादर औढ़ रखी थी। बूँद बूँद टपकते कोहरे की आवाज और हल्की ठंडी हवा के झोंकों से हिलते पर्दों की आवाजें जहन में खौफ की सिहरन पैदा कर रही