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TOWN OF DEATH chapter Three

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TOWN OF DEATH chapter - three                        अध्याय - ३                            (हमला)  By - Mr. Sonu Samadhiya Rasik 🇮🇳  Town of Death भाग - 01 Town of Death भाग - 02 चारों तरफ से भेड़ियों और सियारों की नजदीक आतीं आवाजों से साफ़ जाहिर हो रहा था। कि सभी लोगों के सामने कितनी बड़ी मुसीबत आने वाली थी। सभी लोगों के सामने इस मुसीबत की घड़ी में एक दुविधा आ चुकी थी। सब कन्फ्यूज्ड थे। कि क्या एक अजनबी पर भरोसा करना कितना सही साबित हो सकता है, आगे आने वाली सिचुएशन के हिसाब से। निकिता, डर से रजनीश से बच्चों की तरह हुई सहमी चिपकी हुई थी। इस तरह लगभग सभी लोग एक दूसरे से सटकर खड़े हुए थे। और वह दिखने में हट्टा - कट्टा और सुन्‍दर नौजवान जो शेर की तरह बेखौफ अपने कंधे पर बंदूक रखे सभी के जबाब का इंतज़ार कर रहा था। "क्या हुआ? भाई। क्या सोचा है। मेरे साथ चलना है कि खुद को मौत को सौंपना है?" - उस अजनबी ने कहा। "देखो भई! हम आप पर कैसे भरोसा कर लें। आप आतें हैं और एक हीरो की तरह एक निहत्थे जानवर को मार कर सभी को इम्प्रेस करते हो। बात यहीं तक सीमित नहीं है आपका हम सब

TOWN OF DEATH Chapter_Two

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Town of Death chapter_Two अध्याय ~१ से क्रमशः.........                            अध्याय ~ ०२                    ( mystery_Continue)  ✍🏻 By ~ Mr. Sonu Samadhiya Rasik (SSR)  Town of Death (पहला भाग) यहाँ पढ़ें अगले दिन शाम के ३ बजे..   यूनिवर्सिटी के छात्र और प्रोफेसर की एक रिसर्च टीम जिसमें सभी आर्किलोजिस्ट थे। वो अपने प्रोजेक्ट के लिए अपनी कार से एक हिस्टॉरिकल प्लेस से होकर वापस लौट रहे थे।  इत्तेफाक से वह मोहनीगढ़ के रास्ते से गुजर रहे थे।  कोहरे के कारण धूप मटमैली सी थी, जिससे सर्दी में कोई बदलाव नहीं आया था।  सभी अपने अनुभवों को शेयर करने में व्यस्त थे। तभी उसमें एक लड़की दीप्ति ने अपने कानों से ईयर फोन निकाला और अपनी दोस्त नेहा जो कार की खिड़की से बाहर देख रही थी, उसे कोहनी मारते हुए कार के बेक साइड वाले शीशे की तरफ इशारा किया। और मस्ती भरे अंदाज में फुसफुसाती है कि - "देख नेहा! वो बुड्ढा प्रोफेसर तुझे कैसे घूर रहा है?" "तु न, अपनी घटिया सोच अपने तक ही सीमित रखा कर। समझी न। कुछ भी बोलती है। वो हमारे रेस्पेक्टेबल फेवरेट प्रोफेसर हैं।" - नेहा ने झल्

Town of Death chapter one

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Town of Death ☠                    Chapter _ I By- Mr. Sonu Samadhiya Rasik (SSR)                       अध्याय - १                     (अज्ञात शिकारी) जाड़े के मौसम में रात के २ बजे सभी अपने घरों में में सो रहे थे। रात का अंधेरा और कोहरा अपने सबाब पर थे। तभी धनीराम का फ़ोन बज उठा।  'ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग......... ।'  "इतनी रात को किसे चैन नहीं है.....?" - धनीराम ने मुँह बनाते हुए कहा।  "हलो! धनिया हम बेनीराम कक्का बोल रहे हैं!" - फोन पर उधर से आवाज आई।  "हाँ कक्का! आप कहाँ हो और इतनी रात को आपने फोन क्यूँ किया?" - धनीराम ने परेशान होते हुए कहा।  धनीराम की नींद उड़ चुकी थी। क्योंकि असमय फोन आने का कारण उसे समझ में नहीं आ रहा था और ऊपर से बेनीराम की आवाज में अंजान भय से उसके मन में उथल पुथल होने लगी।  तभी उधर से आवाज आती है  "धनिया! हम अपने खेत पर हैं और तेरे गेंहू के खेत में मुझे लगता है कि गायें घुस आईं हैं। मैंने अभी टार्च की रोशनी में उधर खेत में हलचल देखी है।"  "क्या कह रहे हो आप? रात को खेत पर क्या कर रहे हैं? आ

Ghost night

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                     👻 ɢHᴏsᴛ NIGʜT 👻 By~Sonu Samadhiya 'rasik 🇮🇳   ये कहानी मेरे एक दोस्त के रिलेटिव के साथ सर्दियों में घटित एक असामान्य रात की है। मेरे दोस्त के रिलेटिव उत्तर प्रदेश के किसी कस्बे में रहते थे।  वह परिवार सर्दियों की एक रात में शादी अटेंड करके बापस लौट रहा था। कार में छः लोग सवार थे।  रात काफ़ी हो चुकी थी। कोहरा घना होने के साथ बादल भी घिरे हुए थे। जिससे चारों तरफ़ स्याह अंधेरा पसरा हुआ था।  कार सड़क पर तेज़ गति से दौड़ रही थी। सभी सदस्य आपस में शादी में बिताए ख़ास लम्हें के अनुभव शेयर कर रहे थे।  कार में खूब चहल पहल थी। लेकिन कार को ड्राइव कर रहे। सागर अपना ध्यान कार पर ही केंद्रित किए हुए थे।  थोड़ी देर बाद बारिश प्रारंभ हो चुकी थी। सागर झमाझम बारिश में कार को तेज़ गति से दौड़ा रहा था।  बारिश इतनी तेज़ थी। कि सड़क पर सामने कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था। कार के विंडो ग्लास पर जमी बारीक पानी की बूँदों के बीच में बरसात का पानी लकीरें बना रहा था।  परिवार के सारे सदस्य अब बिल्कुल शांत थे। क्योंकि बरसात अपने विकराल रूप में आ चुकी थी। वो भी असमय सर्दियों में। चारों तर

शैतानी साया

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                   🦇शैतानी साया 🦇 ✍🏻 सोनू समाधिया 'रसिक 🇮🇳 मध्यप्रदेश के भिंड जिले में एक गाँव में प्रकाश (परिवर्तित नाम) का व्यक्ति रहता था, जो पेशे से धोबी था। सभी उसे पप्पू बुलाते थे।  पप्पू के एक लड़का और एक लड़की थी। लड़की का नाम माया था जिसकी उम्र तकरीबन १७ वर्ष होगी।  प्रकाश अपनी मेहनत से अपने घर की छोटी - मोटी सारी जरूरतों को सहजता से पूरी कर लेता था।  उसका परिवार खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा था।  पप्पू की लड़की माया बेहद खूबसूरत थी, उसका अच्छा स्वभाव उसके व्यक्तित्व में चार चांद लगा देते हैं।  माया जिस रास्ते से गुजरती तो सभी उसे देखते रह जाते थे, लेकिन उससे कुछ कहने की किसी की भी हिम्मत नहीं थी। इसका कारण उसके कड़क मिज़ाज़ का होना था।  माया और उसके घरवालों को इस बात का अंदेशा बिल्कुल भी नहीं था और न ही कोई आम आदमी इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता कि माया की खूबसूरती की कायल दूसरी दुनिया की शक्ति भी हो जाएँगी।  माया को बचपन से ही अपने आसपास किसी अदृश्य साये की मौजूदगी का एहसास होने लगा था।  एक बार पप्पू अपने गाँव के ही एक व्यक्ति खेत