Fear Files - Darr Ki Sacchi Tasveerin पीपल की डायन की सच्ची खूनी दास्तां watch and Full Episode #fearfiles #2022 #TopHorrorEpisode2022 #explanation

                    पीपल की डायन



Explanation by Mr. Sonu Samadhiya Rasik 


कहा जाता है, कि शाम को पीपल के पेड़ पास नहीं जाना चाहिए। ख़ास कर औरतों और बच्चों को। क्योंकि पीपल के पेड़ पर डायनों का बास माना जाता है।
अगर ये डायनें किसी भी तरह आपकी जिंदगी में दखल देतीं हैं तो आपकी जिंदगी नर्क से भी बदतर बन सकती है।

Fear Files के इस एपिसोड में सन् 2015 में झारखंड राज्य के चतरा में घटी एक सच्ची घटना देखेंगे। जिसमें एक डायन किस तरह से अमेरिका से आई एक लड़की आयशा की जिंदगी को एक डरावने सपने में बदल देती है।

एपिसोड के शुरुआत में एक लड़की अपनी गेंद को उठाने के लिए पीपल के पेड़ पास जाती है। जहां उसे पीपल पर खिला एक फूल उसे अपनी ओर खींचता है। 
लड़की, फूल की ओर बढ़ती है। तभी उसकी माँ वहां आ जाती है और उसे पीपल के पेड़ के पास जाने को मना करती है। और डांटते हुए कहती है कि पीपल के पेड़ पास कभी मत आना इस पेड़ पर डायन रहती है। 



चतरा की रहने वाली रानी की चचेरी बहन आयशा अमेरिका में रहती थी। जब वह मुंबई आई तो वह अपने पैरेंट्स के साथ रानी से मिलने के लिए चतरा आती है। 
आयशा रानी से मिलकर बहुत खुश होती है। आयशा को फोटोग्राफी का बहुत शौक था। 
उसे पेड़ - पोधों की पिक्चर निकलना बहुत पसंद आता था। 


आयशा रानी को बाहर चलने को बोलती है। रानी अपनी मां से बोलकर आयशा को बाहर घुमाने ले जाने लगती है तभी उसकी रानी की माँ बोलती है कि शाम होने से पहले बापस घर आ जाना। ये गाँव है न कि शहर। 

बाहर जाकर आयशा ढेर सारी पिक्चर क्लिक करती है। साथ ही वह रानी को फोटो खींचना सिखाती है। 
रानी आयशा की तस्वीर ले रही थी। तभी उसके हाथ पर पानी को बूंद गिरती है। रानी ने ऊपर देखा तो आसमान में बादल थे। 

बरसात में भीगने से बचने के लिए रानी घर से छाता लेने के लिए जाती है और वह आयशा को वहीं रुकने के लिए कहती है। वह कहती है जब तक वह बापस न आ जाए। तब तक वह कहीं न जाय। 

लेकिन आयशा रानी के चले जाने के बाद उसकी बातों को अनसुना कर देती है और वह आसपास के पेड़ - पौधों की पिक्चर लेने लगती है। तभी उसे बहुत अच्छी खुश्बू आई। वह खुश्बू की दिशा में आगे बढ़ गई। 
आगे चलकर उसे एक पीपल का पेड़ दिखा। जिस पर सफेद रंग के कई फूल लगे हुए थे। खुश्बू भी उन्हीं फूलों से आ रही थी। 


पहले तो आयशा सोचने लगी कि पीपल के पेड़ पर फूल वह पहली बार देख रही है। फिर भी वह उन फूलों को तोड़ने की कोशिश करने लगी। तभी वहां एक अघोरी बाबा आ जाता है और उसे फूल न तोड़ने की बात कहता है। वह आयशा को समझाता है कि पीपल के पेड़ पर फूल नहीं लगते। ये सब डायन की चाल है तुम जैसी लड़कियों को फंसाने की। 

आयशा उस अघोरी की बातों को मज़ाक में लेती है और उस अघोरी से कहती है कि आप भी किसी भूत से कम नहीं लगते हो ऎसे मत घुमा करो बच्चे डर जाएंगे। 

वह अघोरी उसे एक बुरे अंजाम को भुगतने की चेतावनी दे कर वहां चला जाता है। 
अघोरी के चले जाने के बाद आयशा पीपल के फूल को तोड़ लेती है। जैसे ही वह दूसरा फूल तोड़ने की कोशिश करती है तो डायन उसे धक्का दे कर गिरा देती है। 


रानी वहाँ पहुँच जाती है। वह आयशा से कहती है कि आपको यहाँ आने के लिए मना किया था। फिर भी आप इस पीपल के पेड़ के पास आ गईं। 

तभी आयशा कहती है कि मुझे पता है कि यहां डायन रहती है लेकिन मैं डायनों में विश्वास नहीं करती। 
रानी आयशा को शाम होने से पहले ही घर बापस ले गई। 


रात को आयशा और रानी दोनों घर के बाहर बैठीं बाते कर रहीं थीं। तभी आयशा को सर्दी महसूस होती है और वह एक किसी की डरवानी हँसी को सुनती है। जब वह यह बात रानी से कहती है तो पीपल की डायन उसके सामने आ जाती है और वह बिना कुछ बोले बेहोश हो जाती है। 


आयशा को तेज़ बुखार था। रानी की माँ बताती हैं कि आयशा को बुरी नजर का असर है। आयशा के पिता, first ऐड किट से बुखार की गोली लाने को कहते है क्योंकि गाँव में रात के समय कोई डॉक्टर नहीं मिलता था। 
उसी रात जब आयशा की माँ पानी लेने के लिए रूम से बाहर निकलती है तो गेट अंदर से बंद हो जाते है और लाइट चली गई और अंधेरे में आयशा पर वही डायन हमला करती है। 


अगली सुबह डॉक्टर आयशा को देखने आता है। डॉक्टर आयशा को ठीक करने के लिए जैसे ही इंजेक्शन लगाता है तो आयशा उसका हाथ पकड़ लेती है और वही इंजेक्शन उसको लगा देती है साथ ही मैं वह उस डॉक्टर को वहाँ से भाग जाने को कहती है। डॉक्टर डर कर वहां से भाग जाता है। अब सबको समझ में आ चुका था कि आयशा पर किसी भूत - प्रेत का साया है। रानी के पिता पास में रहने वाले एक बाबा को बुला लाते हैं। 


वह बाबा आयशा की झाड़ फूंक करता है। तभी उसकी नजर पीपल के पेड़ के फूल पर पड़ती है तो बाबा सब समझ जाता है। 
फूल को छूते ही आयशा आजाद हो जाती है। और वह बाबा पर हमला कर देती है। 
तब पता चलता है कि पीपल की डायन कोमला अपना बदला लेने के लिए आई थी। उन 21 लोगों से जिसने उसे मारा था। और उसका बदला 21 लड़कियों की जान लेकर पूरा होगा। 
बाबा भी वहाँ से भाग खड़ा हुआ। 

सभी ने देखा कि आयशा की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। और तभी आयशा को खून की उल्टी हुई इसके साथ ही आयशा ने दुनिया को अलविदा कह दिया। 

आयशा का भाई राज अमेरिका से चतरा पहुंच गया था। उसे डायन वाली बात पर believe नहीं हो रहा है। वह अपनी माँ और पिता को लेकर जाना चाहता था लेकिन आयशा की तेरहवीं के कारण उसे कुछ दिन वहीं रुकना पड़ा। 

रात को जब राज छत पर आयशा की तस्वीरें देख रहा था। तभी उसे आयशा की आत्मा उसे आवाज देती है जो उस डायन के कब्जे में थी। इसके साथ उसी रात रानी पर भी वह डायन हमला करती है। अब राज को डायन की बात का विश्वाश हो गया था। 
रानी की भी हालत आयशा जैसी ही हो चुकी थी। उसको भी बुखार और सर्दी थी। 

किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि डायन आख़िरकार क्या चाहती है। उससे छुटकारा कैसे पाएं। 

तभी कुछ गाँव वाले रानी के घर पहुंच जाते हैं। तब पता चलता है कि रानी की तरह ही गाँव की 20 और लड़कियों की ऎसी ही हालात है। 
जब राज डायन से बचाव का उपाय पूछता है तो गाँव वाले उस अघोरी बाबा के पास जाने को बोलते हैं। राज गाँव वालों से उस अघोरी का पता पूछता है तो 
गाँव वाले कहते हैं कि अघोरी जंगल में रहता है। 
राज उसी वक़्त अघोरी के पास चलने की बात कहता है। राज की माँ उसे रोकती है और कहती है कि मैंने अपनी बेटी खो दी है और अब अपने बेटे को मुसीबत में नहीं डाल सकती। 
इस पर राज अपनी माँ को समझाता है कि अगर उसने कुछ नहीं किया तो गाँव की 20 और लड़कियों की जान चली जाएगी। वो सभी भी आयशा की तरह मेरी बहनें हैं। 

रात को राज गाँव वालों के साथ जंगल में अघोरी को ढूंढने के लिए जा रहा था। तभी गाँव वाले पर डायन हमला करती है लेकिन राज डायन पर गंगा जल छिड़क कर उसे बचा लेता है। सभी गाँव वाले डर जाते हैं। राज सभी को हिम्मत रखने की बात कहता है। 

भटकते - भटकते सभी अघोरी बाबा के पास पहुंच जातें हैं और उससे सहायता मांगते हैं। 

तब अघोरी बताता है कि कुछ दशक पहले इस गाँव में कोमला नाम की औरत रहती थी जो 21 साल से कम उम्र की लड़कियों पर काला जादू करती थी और उनकी बलि दे कर खुद को जवान रखती थी। एक दिन गाँव वालों को उसकी असलियत पता चली तो कोमला को पकड़ कर पीपल के पेड़ से बांध दिया और पीट - पीट कर उसे मार डाला और उसकी लाश को वहीं गाढ़ दिया। 
कहा जाता है अंतिम संस्कार न होने के कारण और अपनी शक्तियों की वजह से वह डायन बन चुकी है। 

राज अघोरी से उस डायन से बचाव का उपाय पूछता है तो अघोरी कहता है कि पीपल के पेड़ के नीचे उस डायन का कंकाल है उसे जला दो तो वह हमेशा के लिए यहां से चली जाएगी। 

राज अघोरी और गाँव वालों के साथ पीपल के पेड़ के पास पहुंच जाता है। जैसे ही सब उस डायन के कंकाल को ढूंढने लगते हैं तो डायन सभी पर हमला करने लगती है। डायन के हमले से सभी गाँव वाले डरकर भाग जाते हैं। 
डायन अघोरी पर हमला करती है जब तक डायन अघोरी को मारती तब तक बड़ी मशक्कत के बाद राज उस डायन का कंकाल को जला देता है। इस तरह से राज गाँव की 20 लड़कियों की जान बचाने में कामयाब हो जाता है। 



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